जब से मैंने टीचिंग लाइन में प्रवेश किया मैंने रुरल प्राजेक्ट्स पर बहूत फ़ोकस रहता था। उन्नत तकनीकी द्वारा महिलाओं की थकान में कमी लाने के लिए मैंने विभिन्न प्राजेक्ट्स किए तो समस्या ये आती थी की गाँव के लोगों की मानसिकता बहूत अलग होती है, वो लोग आपकी बात मानना तो दूर आपकी बात सुनना तक नही चाहते , ऐसे में उनकी लाइफ़ स्टाइल में परिवर्तन लाने का सपना अपने आप में ही मुश्किल लगता है। पर डट कर काम किया वक़्त लगा पर लोग स्मझने लगे, उपकरण और तकनीकी का प्रयोग करने लगे। टीचिंग के साथ साथ रीसर्च एंड इक्स्टेन्शन का काम भी रहता था सबकुछ एक साथ मैनेज करने में बहुत कठिनाई आती थी। इसी के साथ मैंने अर्गनॉमिक्स में भी काफ़ी रीसर्च एंड पब्लिकेशन किए । इसी बीच मैंने एक इंटर्नैशनल अवार्ड के लिए अप्लाई किया था मुझे लगा नही था की मेरा सिलेक्शन हो जाएगा । दो दिन पहले मुझे ईमेल मिला की मुझे चाइना में इंटर्नैशनल अवार्ड मिल रहा है। दो दिन पहले जहाँ एक तरफ़ ख़ुशी भी थी पर टिकट्स , तैयारी , प्रेज़ेंटेशन बहूत घबरा गयी थी मैं। पर इस अवसर को किसी भी हाल में ऐसे ही नही गवाँ सकती थी।
तो किसी तरह अर्जेंट में सब कुछ मेंनेज कर के वहाँ पहुँचे। चाइना जाकर पता चला की मुझसे पहले ये अवार्ड सिर्फ़ USA & ऑस्ट्रेल्या को ही मिले है और मैं ये अवार्ड लिबर्टी मेडल और १०००० US DOLLAR लेने वाली पहली ऐशियन वुमन बन गयी । विश्वास ही नहीं हो था था की इस तरह इतने देशों के तकनीकी आईटी वाले लोगों के बीच भी इतने संघर्षों के बाद मुझ होमसाययंटिस्ट को ये नैशनल अवार्ड मिला ।
ज़िंदगी में संघर्ष केवल आंतरिक या सामाजिक ही नही होते कभी कभी परिस्थियाँ भी संघर्ष बन जाती है और मैंने हर बार डट कर सामना किया और मुझे इसका फल भी मिला।