Satya Bhawana Singh

मेरा नाम सत्य भावना सिंह है। मैं उदयपुर के अंदर एक सिक्योरिटी एजेंसी चलाती हूं। जिस काम की वजह से मैंने अपनी जिंदगी से दुखी होकर खत्म होने वजह मान ली थी आज उसी काम को मैंने अपना सब कुछ मान लिया। मेरी छह बहने हैं एक भाई और माताजी पिताजी का स्वर्गवास बहुत समय पहले हो गया था, जिसकी वजह से मेरे पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही थी। दिल्ली में सन 2011 में यह सोच कर आई थी कि मुझे मेरे परिवार को चलाना है, अपनी बहनों की पढ़ाई को पूरा करना है उनकी शादी भी करवानी है। मेरी तनख्वाह उस समय ₹4500 हुआ करती थी। मैं कितना भी मेहनत कर लो पर उससे ऊपर नहीं जा सकती थी। दिन को और शाम को ट्यूशन पढ़ाती और दिनभर ऑफिस का काम करती हूं जिसका अंजाम यह हुआ कि जिस कंपनी में मैं काम करती थी वह कंपनी ऊंचाई की शिखर पर थी और मैं वही थी जहां पहले थी।

मेरे इतनी मेहनत के बावजूद भी मुझे कुछ हासिल नहीं होगा एक समय वह आ गया कि जब मैंने अपनी जिंदगी को खत्म करने के लिए प्राण ले लिया और कोशिश भी कर ली। फिर वापस मैंने अपनी जिंदगी में खुद से पूछा क्या सिर्फ इस काम के लिए ही आई हूं और मैंने उस दिन खुद से वादा किया कि अब मैं खुद को खड़ा करके दिखाऊंगी और जिंदगी का वह दिन था और एक आज का दिन है, आज मैं खुद की सिक्योरिटी एजेंसी उदयपुर क्षेत्र में राजस्थान में चला रही हो जिसके बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था।

Sound Bite: Satya Bhawana Singh
Sound Bite: Satya Bhawana Singh