Neetu Chopra

नौ वर्ष की थी मैं जब mera संघर्ष शुरू हुआ था सबसे पहले नौ साल की थी मैं जब मेरी माँ मुझे हमेशा के लिए अलविदा कह गई थी वो नौ साल के एक बच्चे के लिए माँ के बिना जीवन यापन करना कैसा हो सकता है कि आप स्वयं सो सकते हैं स्पेशियलि 1 लड़की के लिए साल की थी तब पापा ने भी उनका विवाह किया सौतेली माँ घर में आयी और घर परिवार का माहौल ही बदल गया मेरी किसी से बनती नहीं थी इसलिए मुझे हॉस्टल भेज दिया गया विद्या वाड़ी में कक्षा सातवीं में मेरा एडमिशन हुआ फिर से संघर्षों का दौर चलता रहा और मैं एक अनजान जगह अजनबी लोग समझ नहीं आ रहा था कैसे वहाँ पे सामंजस्य बिठाने में कोई दोस्त नहीं बनते थे मेरे बस बस कुछ था तो अकेलापन और मेरी तन्हाई वहाँ एक पीपल का पेड़ हुआ करता था और मैं प्यार से उन्हें पीपल दादा कहकर बुलाया करती थी तू पीपल दादा की छाँव में बैठ करके मैं अपने दुख दर्द के किस्से उन्हें सुना दिया करती थी बस 1 वो ही अपनापन था ।

दसवी कक्षा में मैं राजस्थान बोर्ड की मैरिट लिस्ट में 32 वें स्थान पर तीळ एक तरफ़ जहाँ मेरिट में आने की ख़ुशी थी वहीं दूसरी तरफ़ ग़म के बादल छा गये जब पापा ने कहा कि दसवी के बाद अब नहीं पढ़ाया जाएगा ज़्यादा पढ़कर क्या करोगी फिर शादी नहीं होगीआख़िर तो घर का काम भी करना है इस तरीक़े की बातें मुझे समझे जाने लगी पर मैं सनकी थी इस तरह की बातें मुझे कहाँ समझ पाती भला इस तरह मैं हार मानने वालों में नहीं थी काफ़ी समझाने की कोशिश की मैंने पापा को पर जब वो नहीं माने तो मैंने एक योजना बनायी पैकिंग की है और घर से निकल पड़ी लोगों की नज़रों में मैं घर से भाग चुकी थी समाज में काफ़ी बातें बनने लगी कि ये लड़की घर से दूर रात गुज़ार के आयी हैपता नहीं कहाँ मुँह काला कर रही होगी है और इस तरह से समाज में नाम का समाज में बदनामी फैलने लगी

इस तरह फिर से मुझे घर लाकर कमरे में बंद कर दिया गया तथा क़ैदी की तरह ट्रीटमेंट मिलने लगा, रिश्ते आने लगे, मुझे बस ख़ून सवार था कुछ भी कर के पढ़ायी करनी है और कुछ बनना है जब रिश्ते आने लगे तो मैंने ग़ुस्से में आकर कहा की अभी में नाबालिग़ हूँ अगर आपलोगों ने मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की तो मजबूरन मुझे क़ानूनी करवाही करनी पड़ेंगी। चूँकि में १६ वर्ष की थी तो घर वालों ने निर्णय लिया की मुझे दो साल और हॉस्टल में ही रहने देते है और फिर इसकी शादी कर देंगे।बस फिर क्या था मेरा बचपन कहाँ खो गया पता ही नही चला मैं कब बड़ी हो गयी वो दो साल में मेने छोटे मोटे कोम्पटिशन में भाग लेना स्टार्ट किया और क्लास ११ में हुयी career counsling में मुझे jet के exam तथा ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी के बारे में पता चला, मैंने exam clear किया इस तरह संघर्ष के चलते में उदयपुर पहुँची।

कॉलेज में शुरू हुआ मेरा financial स्ट्रगल, चूँकि फ़ैमिली से कोई सपोर्ट नही था और ८००० रुपए की बचत थी तब तक पर एक दिन वो भी तो ख़त्म होनी थी, फिर में अपने ख़र्चे निकालने के लिए पार्ट टाइम जॉब्ज़ आइसक्रीम पार्लर, tellecaller, रिसेप्शनिस्ट होटेल आदि जगह में काम करती । १०-५ कॉलेज के बाद ६-११ तक काम करने के बाद जो बहुत थकान हो जाती थी इस तरह मेने अपनी पढ़ाई पूरी की । कॉलेज में में Ncc क सर्टिफ़िकेट में ओवर ऑल राजस्थान डिरेक्टरट में टोंप कर गोल्ड मेडल लिया। और गर्ल्ज़ कडेट अड्मिनिस्ट्रेटोर की जॉब मुझे मिली पर मुझे अफ़सर बनना था और में इंटर्व्यू clear नही कर पायी तो ११ महीने बाद मेने जॉब छोड़ दिया। क्यूँकि मुझे कुछ अलग करना था अपने सपने पूरे करने थे अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीनी थी इसलिए मैंने जॉब छोड़ कर अपनी ख़ुद की कम्पनी नितांजू इवेंट्स बनायी टीम तैयार की, तब से आज तक कभी पीछे मुड़कर भी देखा आज में नितांजू इवेंट्स, नितांजू pvt लिमिटेड तथा nayara Nitanju association of young artist and रेक्रीएशनल ऐक्टिविटीज़ की CEO and director हूँ।

अब लोग मोटिवेशनल स्पीचके लिए बुलाते है जब लोगों से अपनी कहानी शेयर करती हो तो काफ़ी लोग प्रेरित होते है। Recently ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा टॉप ५ entrepreneur में मेरा सम्मान किया गया था ।
ये थी मेरे संघर्ष की कहानी, की मैंने कभी हार नही मानी, और अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर अपने तरीक़े से जी रही हूँ। #JiyoDilSe #SheIsUdaipur #SheIsStrong

Sound Bite: Neetu Chopra

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