मेरा नाम लाड लौहार है और मैं अनपढ हूँ। मैं कभी स्कूल नहीं गई, जितनी भी पढाई की मैंने घर
पर खुद ही की। हमारे समाज में महिलाओं को बाहर जाने की और नौकरी करने की अनुमति नहीं है। मैं तलाकशुदा हूँ, फिर भी मैं महिलाओं को काम दिलाती हूँ। मैं पिछले 9 साल से सेनेटरी पैड्स का काम करती आ रही हूँ। मैं गाँव-गाँव जा कर आदिवासी महिलाओं को सेनेटरी पैड्स बनाना सिखाती हूँ। इसके अलावा जो भी बैरोजगार महिलाएं है, उनको भी मैं काम दिलाती हूँ और मैं अपने लिये अपना पुस्तैनी काम भी करती हूँ।
मैनें 2011 में एक निजी NGO से सेनेटरी पैड्स बनाना सीखा, फिर मैंने उन महिलाओं को भी सिखाया जिनको जरुरत थी। ये सब करने मैं मुझे बहुत सारी परेशानियां का सामना करना पडा।एैसे काम करने के लिये कभी माता-पिता मना करते थे और कभी समाज रोकता था। सबसे ज्यादा जरुरत उन लडकियों को होती थी जो स्कुल जा रही थी और जिनकी उम्र 11 या 12 साल थी।लडकियां के साथ उन दिनों ज्यादा रोक टोक होती थी कि 5 दिन स्कूल मत जाओ, परीक्षा भी हो तो भी स्कुल मत जाओ और कोई भी प्रोगाम में उनको वंचित किया जाता था । हर एक लडकी घर-घर जाकर उनके माता-पिता को प्रेरित करती थी और मैंने उन लडकियों को सेनेटरी पैड्स बनाना सिखाया।